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Pe ratio introduction
शेयर बाजार में कोई नया निवेशक हो या पुराना, सभी को स्टॉक खरीदते समय बात का पक्का ध्यान रखना होता है कि जो स्टॉक मैं खरीद रहा हूं वो महंगे भाव में कर रहा हूं या सस्ते भाव में। इस सवाल का जवाब देता है pe ratio यानी प्राइस टू अर्निंग_RATIO। यह एक ऐसा फॉर्मुला है जिससे हम किस स्टॉक का सही भाव पता लगा सकते हैं। निवेश के सही समझ रखने के लिए पीई_RATIO को समझना बहुत ज़रूरी है।

Pe ratio kiya hota hai
P/E RATIO= SHARE PRICE/EPS (EARNING PER SHARE)
इसका मतलब है कि कोई निवेशक कंपनी में 1 रुपये की कमाई के लिए कितना दाम देने को तैयार है या फिर एक शेयर खरीदने को तैयार है।
- FOR EXAMPLE,
- किसी कंपनी का शेयर प्राइस 100 रुपये का है और उसका जो EPS (EARNING PER SHARE) 10 रुपये है.
- तो p/e ratio =100=10=10
- तो इसका मतलब यह हुआ कि अगर कोई शेयर खरीद रहा है तो निवेशक कंपनी के 1 रुपये की कमाई के लिए 10 रुपये दे रहा है। इस फार्मूले से आप आसानी से पीई रेशियो को समझ सकते हैं।
PE RATIO क्यों जरूरी है
- अगर आप किसी स्टॉक का पी/ई रेशियो चेक करते हैं और वो बहुत ज्यादा निकल के आता है तो हो सकता है कि स्टॉक ओवरवैल्यूड हो या फिर बहुत महंगा हो. (overvalued)
- अगर किसी स्टॉक का पीई रेशियो कम है तो हो सकता है कि स्टॉक सस्ता ही हो लेकिन ऐसा हमेशा नहीं होता है और फैक्टर भी देखने जरूरी होते हैं।
किस को हाई और लो P/E माने
- कुछ IT कंपनियों का P/E जादा हो सकता है क्योंकि उनकी मांग ज्यादा रहती है और उनका बिजनेस मॉडल भी काफी बड़ा होता है।
- या फिर कुछ FMCG कंपनियों का PE ज्यादा हो सकता है जिनके डिमांड और सप्लाई मेंटेन रहते हैं जिस के कारण उनकी इंडस्ट्री PE RATIO से ज्यादा प्रीमियम ट्रेड करते हैं।
PE ratio (conclusion)
Pe ratio एक संकेत देता है, सामान्यतः अगर आपको ज्यादा जानकारी नहीं है, तो आप पीई अनुपात को देखकर भी यह अनुमान लगा सकते हैं कि इस स्टॉक के लिए इतने पैसे देना सही है या गलत। लेकिन आपको केवल पीई अनुपात के आधार पर निर्णय नहीं लेना चाहिए, बाकी चीजों को भी ध्यान में रखकर देखना चाहिए।
PB ratio किया होता है
Introduction
कंपनी के सारे चीजों या संपत्तियों को मिलाकर जो कुल मूल्य होता है, अगर इससे कंपनी अपने सारे कर्ज़ चुका लेने के बाद उसके पास बचे हुए पैसों को जब वो कुल शेयर से विभाजित करते हैं, वह जो मूल्य होता है उसे पीबी अनुपात कहा जाता है।
PB ratio से किया समझ आता है
- स्टॉक बुक मूल्य से कितना महंगा है या सस्ता
- टॉक बुक वैल्यू के पास-पास ट्रेड कर रहा है या थोड़ा ऊपर-नीचे अगर पास-पास है या थोड़ा ऊपर-नीचे तो उसे खरीदना सही हो सकता है।
किन सेक्टर में इसका उपयोग ज्यादा होता है
- बैंकिंग और वित्तीय कंपनियों में पीबी अनुपात को बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण माना जाता है।
- इन स्क्टर्स में बुक वैल्यू एसेट के गुणवत्ता को दर्शाती है

conclusion
Pb ratio यह बताता है कि कोई शेयर किसी कंपनी के कुल संपत्ति मूल्य के मुकाबले कितना सस्ता या महंगा है। इसलिए बैंकिंग और वित्तीय क्षेत्र में इसे खास तौर पर देखा जाता है क्योंकि उनके पास संपत्ति कम होती है। लेकिन यह तभी फायदेमंद होता है जब इसके साथ बाकी क्षेत्रों को भी देखा जाए जैसे कि आरओई कंपनी के विकास आने वाले समय में किस क्षेत्र में वृद्धि हो सकती है। साथ मिलाकर आपको सही अंदाज़ा लग सकता है।
Low pe कब अच्छा माना जाता है

- अब अगर कोई कंपनी अपने असली पी/ई अनुपात से कम पर लगातार ट्रेड कर रही है और उसकी कमाई लगातार बढ़ रही है तो उसको अच्छा माना जाता है और ऐसा शेयर अंडरवैल्यूड हो सकता है।
- इसमें निवेश करना फायदेमंद हो सकता है खासकर तब जब आपको कोई ऐसी कंपनी मिल जाए जो लगातार अपने पीबी रेशियो से नीचे ट्रेड कर रही हो।
- जैसे ONGC, कोल इंडिया, Gail, BPCL आदि इनके जैसे कंपनियाँ अगर आपको लॉन-ओब रेशियो पर मिल रही हैं तो उनको खरीदना सही हो सकता है।
High pe कब अच्छा माना जाता है
- अगर कंपनी तेज़ी से बढ़ रही है तो उसका उच्च मूल्य पर अच्छा माना जाता है।
- इस्का मतलब है कि निवासी कंपनी पर भरोसा कर रहे हैं, जिससे कंपनी का मूल्य उच्च रहता है जैसे एशियन पेंट्स, इंफोसिस, पिडिलाइट, इंडिया एडि।
Disclaimer
हमारे द्वारा दी गई सारी जानकारी केवल जानकारी के उद्देश्य के लिए है। किसी भी तरह का कोई निर्णय लेने से पहले या निवेश करने से पहले अपने वित्तीय सलाहकार से पक्का सलाह लें।
frequently ask questions
- Pe ratio kiya hota hai
- Pe ratio kitna hona chachiya
- Pe rtaio high aur low better
- Book value kiya hota hai